रागं: सामन्तं
आ: स रि2 ग3 म1 प द3 नि3 स
अव: स नि3 द3 नि3 द3 प म1 ग3 रि2 स
तालं: आदि
पल्लवि
ऎक्कुव कुलजुडैन हीन कुलजुडैन
निक्कमॆरिगिन महा नित्युडे घनुडु ॥ (2.5)
चरणं 1
वेदमुलु चदिवियुनु विमुखुडै हरिभक्ति
यादरिञ्चनि सोमयाजि कण्टॆ । (2)
एदियुनु लेनि कुल हीनुडैननु विष्णु
पादमुलु सेविञ्चु भक्तुडे घनुडु ॥ (1.5)
ऎक्कुव कुलजुडैन हीन कुलजुडैन (प.)
निक्कमॆरिगिन महा नित्युडे घनुडु ॥ (प.)
चरणं 2
परममगु वेदान्त पठन दॊरिकियु सदा
हरि भक्ति लेनि सन्यासि कण्टॆ । (2)
सरवि मालिन अन्त्य जाति कुलजुडैन
नरसि विष्णुनि वॆदकु नातडे घनुडु ॥ (1.5)
ऎक्कुव कुलजुडैन हीन कुलजुडैन (प.)
निक्कमॆरिगिन महा नित्युडे घनुडु ॥ (प.)
चरणं 3
विनियु चदिवियुनु, श्री विभुनि दासुडु गाक
तनुवु वेपुचु नुण्डु तपसि कण्टॆ । (2)
ऎनलेनि तिरु वेङ्कटेशु प्रसादान्नमु
अनुभविञ्चिन यातडप्पुडे घनुडु ॥ (1.5)
ऎक्कुव कुलजुडैन हीन कुलजुडैन (प.)
निक्कमॆरिगिन महा नित्युडे घनुडु ॥ (प.)(2)