Vaidika Vignanam
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अन्नमय्य कीर्तन विडुव विडुवनिङ्क


रागं: सूर्यकान्तं

विडुवविडुवनिङ्क विष्णुड नीपादमुलु
कडगि संसारवार्थि कडुमुञ्चुकॊनिन ॥

परमात्म नीवॆन्दो पराकैयुन्नानु
परग नन्निन्द्रियालु परचिनानु ।
धरणिपै चॆलरेगि तनुवु वेसरिनानु
दुरितालु नलुवङ्क~म दॊडिकि तीसिननु ॥

पुट्टुगु लिट्टॆ रानी भुवि लेक माननी
वट्टि मुदिमैन रानी वयसे रानी ।
चुट्टुकॊन्नबन्धमुलु चूडनी वीडनी
नॆट्टुकॊन्नयन्तरात्म नीकु नाकुबोदु ॥

यीदेहमे ययिन इक नॊकटैनानु
कादु गूडदनि मुक्ति कडकेगिना ।
श्रीदेवुडवैन श्रीवेङ्कटेश नीकु
सोदिञ्चि नीशरणमे चॊच्चिति नेनिकनु ॥

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