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धर्मशाश्ता स्तोत्रम् (श्री भारती तीर्थ कृतम्) जगत्प्रतिष्ठाहेतुर्यः धर्मः श्रुत्यन्तकीर्तितः । श्रीशङ्कराचार्यैः शिवावतारैः तेष्वेव कर्मन्दिवरेषु विद्या- धर्मस्य गोप्ता यतिपुङ्गवोऽयं कालेऽस्मिन् कलिमलदूषितेऽपि धर्मः ज्ञानं षडास्यवरतातकृपैकलभ्यं यमनियमादिसमेतैः यतचित्तैर्योगिभिः सदा ध्येयम् । शबरगिरिनिवासः सर्वलोकैकपूज्यः इति शृङ्गेरि जगद्गुरु श्री श्री भारतीतीर्थ महास्वामिभिः विरचितं धर्मशास्ता स्तोत्रम् । |