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अय्यप्प पंच रत्नम् लोकवीरं महापूज्यं सर्वरक्षाकरं विभुम् । विप्रपूज्यं विश्ववंद्यं विष्णुशंभोः प्रियं सुतम् । मत्तमातंगगमनं कारुण्यामृतपूरितम् । अस्मत्कुलेश्वरं देवम्-अस्मच्छत्रु विनाशनम् । पांड्येशवंशतिलकं केरले केलिविग्रहम् । पंचरत्नाख्यमेतद्यो नित्यं शुद्धः पठेन्नरः । इति श्री शास्ता पंचरत्नम् । —— अथ शास्ता नमस्कार श्लोकाः । त्रयंबकपुराधीशं गणाधिपसमन्वितम् । शिववीर्यसमुद्भूतं श्रीनिवासतनूद्भवम् । यस्य धन्वंतरिर्माता पिता देवो महेश्वरः । भूतनाथ सदानंद सर्वभूतदयापर ।
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