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राघवेंद्र अष्टोत्तर शत नामावलि

ॐ स्ववाग्दे व तासरि द्ब क्तविमली कर्त्रे नमः
ॐ राघवेंद्राय नमः
ॐ सकल प्रदात्रे नमः
ॐ भ क्तौघ संभे दन द्रुष्टि वज्राय नमः
ॐ क्षमा सुरॆंद्राय नमः
ॐ हरि पादकंज निषेव णालब्दि समस्ते संपदे नमः
ॐ देव स्वभावाय नमः
ॐ दि विजद्रुमाय नमः
ॐ इष्ट प्रदात्रे नमः
ॐ भव्य स्वरूपाय नमः ॥ 10 ॥
ॐ भ व दुःखतूल संघाग्निचर्याय नमः
ॐ सुख धैर्य शालिने नमः
ॐ समस्त दुष्टग्र हनिग्र हेशाय नमः
ॐ दुरत्य यो पप्ल सिंधु सेतवे नमः
ॐ निरस्त दोषाय नमः
ॐ निर वध्यदेहाय नमः
ॐ प्रत्यर्ध मूकत्वविधान भाषाय नमः
ॐ विद्वत्सरि ज्ञेय महा विशेषाय नमः
ॐ वा ग्वैखरी निर्जित भव्य शे षाय नमः
ॐ संतान संपत्सरिशुद्दभक्ती विज्ञान नमः ॥20 ॥
ॐ वाग्दॆ हसुपाटवादि धात्रे नमः
ॐ शरिरोत्ध समस्त दोष हंत्रॆ नमः
ॐ श्री गुरु राघवेंद्राय नमः
ॐ तिरस्कृत सुंनदी जलपादो दक महिमावते नमः
ॐ दुस्ता पत्रय नाशनाय नमः
ॐ महावंद्यासुपुत्र दायकाय नमः
ॐ व्यंगय स्वंग समृद्द दाय नमः
ॐ ग्रहपापा पहयॆ नमः
ॐ दुरितकानदाव भुत स्वभक्ति दर्श नाय नमः ॥ 30 ॥
ॐ सर्वतंत्र स्वतंत्रय नमः
ॐ श्रीमध्वमतवर्दनाय नमः
ॐ विजयेंद्र करा ब्जोत्द सुदोंद्रवर पूत्रकाय नमः
ॐ यतिराजये नमः
ॐ गुरुवे नमः
ॐ भया पहाय नमः
ॐ ज्ञान भक्ती सुपुत्रायुर्यशः
श्री पुण्यवर्द नाय नमः
ॐ प्रतिवादि भयस्वंत भेद चिह्नार्ध राय नमः
ॐ सर्व विद्याप्रवीणाय नमः
ॐ अपरोक्षि कृत श्रीशाय नमः ॥ 40 ॥
ॐ अपेक्षित प्रदात्रे नमः
ॐ दायादाक्षिण्य वैराग्य वाक्पाटव मुखांकि ताय नमः
ॐ शापानुग्र हशाक्तय नमः
ॐ अज्ञान विस्मृति ब्रांति नमः
ॐ संशयापस्मृति क्ष यदोष नाशकाय नमः
ॐ अष्टाक्षर जपेस्टार्द प्रदात्रे नमः
ॐ अध्यात्मय समुद्भवकायज दोष हंत्रे नमः
ॐ सर्व पुण्यर्ध प्रदात्रे नमः
ॐ कालत्र यप्रार्ध नाकर्त्यहिकामुष्मक सर्वस्टा प्रदात्रे नमः
ॐ अगम्य महिम्नेनमः ॥ 50 ॥
ॐ महयशशे नमः
ॐ मद्वमत दुग्दाब्दि चंद्राय नमः
ॐ अनघाय नमः
ॐ यधाशक्ति प्रदक्षिण कृत सर्वयात्र फलदात्रे नमः
ॐ शिरोधारण सर्वतीर्ध स्नान फतदातृ समव बंदावन गत जालय नमः
ॐ नमः करण सर्वभिस्टा धार्ते नमः
ॐ संकीर्तन वेदाद्यर्द ज्ञान दात्रे नमः
ॐ संसार मग्नजनोद्दार कर्त्रे नमः
ॐ कुस्टदि रोग निवर्त काय नमः
ॐ अंध दिव्य दृष्टि धात्रे नमः ॥ 60 ॥
ॐ एड मूकवाक्सतुत्व प्रदात्रे नमः
ॐ पूर्णा यु:प्रदात्रे नमः
ॐ पूर्ण संप त्स्र दात्रे नमः
ॐ कुक्षि गत सर्वदोषम्नानमः
ॐ पंगु खंज समीचानाव यव नमः
ॐ भुत प्रेत पिशाचादि पिडाघ्नेनमः
ॐ दीप संयोजनज्ञान पुत्रा दात्रे नमः
ॐ भव्य ज्ञान भक्त्यदि वर्दनाय नमः
ॐ सर्वाभिष्ट प्रदाय नमः
ॐ राजचोर महा व्या घ्र सर्पन क्रादि पिडनघ्नेनमः ॥ 70 ॥
ॐ स्वस्तोत्र परनेस्टार्ध समृद्ध दय नमः
ॐ उद्य त्प्रुद्योन धर्मकूर्मासन स्दाय नमः
ॐ खद्य खद्यो तन द्योत प्रतापाय नमः
ॐ श्रीराममानसाय नमः
ॐ दृत काषायव सनाय नमः
ॐ तुलसिहार वक्ष नमः
ॐ दोर्दंड विलसद्दंड कमंडलु विराजिताय नमः
ॐ अभय ज्ञान समुद्राक्ष मालाशीलक रांबुजाय नमः
ॐ योगेंद्र वंद्य पादाब्जाय नमः
ॐ पापाद्रि पाटन वज्राय नमः ॥ 80 ॥
ॐ क्षमा सुर गणाधी शाय नमः
ॐ हरि सेवलब्दि सर्व संपदे नमः
ॐ तत्व प्रदर्शकाय नमः
ॐ भव्यकृते नमः
ॐ बहुवादि विजयिने नमः
ॐ पुण्यवर्दन पादाब्जाभि षेक जल संचायाय नमः
ॐ द्युनदी तुल्यसद्गुणाय नमः
ॐ भक्ताघविद्वंसकर निजमूरि प्रदर्शकाय नमः ॥ 90 ॥
ॐ जगद्गुर वे नमः कृपानिध ये नमः
ॐ सर्वशास्त्र विशारदाय नमः
ॐ निखिलेंद्रि यदोष घ्ने नमः
ॐ अष्टाक्षर मनूदि ताय नमः
ॐ सर्वसौख्यकृते नमः
ॐ मृत पोत प्राणादात्रे नमः
ॐ वेदि स्धपुरुषोज्जी विने नमः
ॐ वह्निस्त मालिकोद्द र्त्रे नमः
ॐ समग्र टीक व्याख्यात्रे नमः
ॐ भाट्ट संग्र हकृते नमः ॥ 100 ॥
ॐ सुधापर मिलोद्द र्त्रे नमः
ॐ अपस्मारा पह र्त्रे नमः
ॐ उपनिष त्खंडार्ध कृते नमः
ॐ ऋ ग्व्यख्यान कृदाचार्याय नमः
ॐ मंत्रालय निवसिने नमः
ॐ न्याय मुक्ता वलीक र्त्रे नमः
ॐ चंद्रि काव्याख्याक र्त्रे नमः
ॐ सुंतंत्र दीपिका र्त्रे नमः
ॐ गीतार्द संग्रहकृते नमः ॥ 108 ॥




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